RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2022

बैठा वो मेरे पास आ मेरा‌ हाथ थाम 

समझ उसे‌ अपना बाहों में समेट लिया
दिल की गहराइयों में उतर वह भी 
एक घर बना रह गया, चंद ‌‌‌पलों के लिए
जब रूका तुफान ठहरा मुसाफिर फिर 
किसी नई मंजिल की तलाश को खालीकर
मेरे दिल को‌ चल दिया आज बन अंजान 
मुसाफिर, राहगीर का पथिक बना आज 
देखो चला है वह मुसाफ़िर किसी ओर की तलाश को। 

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7 Comments

Superve अल्फाज़

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Gunjan Kamal

22-Nov-2022 10:47 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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RAKHI Saroj

23-Nov-2022 01:05 AM

धन्यवाद आपका

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Teena yadav

22-Nov-2022 07:36 PM

Superb 👍

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RAKHI Saroj

22-Nov-2022 08:05 PM

धन्यवाद

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